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Tuesday, April 8, 2014

क्या हम अपनी स्मरण शक्ति बढ़ा सकते हैं ?


     
      हम में से अधिकांश लोग यह सोचते हैं कि हमारी स्मृति स्थिर और अपरिवर्तनीय है। लेकिन ऐसा नहीं है। कुछ तकनीकों के जरिए आपकी याददाश्त और मस्तिष्क के काम करने की क्षमता में जबर्दस्त इजाफा हो सकता है।

           आमतौर पर लोग औसतन अपने मस्तिष्क का 12 प्रतिशत ही इस्तेमाल करते हैं। फिर तो आप कह सकते हैं कि यह दुनिया बेवकूफ है। लोग अपने दिमाग का 12 प्रतिशत ही क्यों इस्तेमाल कर पा रहे हैं ? इसकी वजह है। दरअसल, मस्तिष्क के दांयें और बायें हिस्से के बीच आवश्यक सामंजस्य स्थापित करने का कोई सुनियोजित तरीका उनके पास नहीं है। अगर आप उन दोनों हिस्सों को सही तरीके से जोड़ेंगे नहीं, तब तक पूरा मस्तिष्क काम नहीं करेगा। न्यूरॉन नाम की एक चीज होती है, ये न्यूरॉन लगातार एक खास दिशा में काम कर रहे हैं। आप इन्हें जोड़ सकते हैं और अलग भी कर सकते हैं। 24 घंटे के भीतर हम इंसान के सोचने, इस दुनिया में चीजों को महसूस करने और समझने के तरीके को पूरी तरह से बदल सकते हैं।

           मस्तिष्क के दांयें और बांयें हिस्सों के बीच सामंजस्य बढ़ाने का एक सबसे अच्छा तरीका यह है कि अगर कोई इंसान अपने स्थूल शरीर को शांत और स्थिर रख सकता है, तो शरीर की निश्चलता की इस स्थिति में मस्तिष्क एक बड़े पैमाने पर जुड़ जाता है।


        24 घंटे के भीतर हम इंसान के सोचने, इस दुनिया में चीजों कोमहसूस करने और समझने के तरीके को पूरी तरह से बदल सकते हैं।

           प्राचीन काल में अपने देश में मस्तिष्क को प्रशिक्षित करने की विस्तृत और परिष्कृत प्रणाली थी। एक पूरा तरीका था कि मस्तिष्क को पूरी तीव्रता और गहराई के साथ कैसे जोड़ा जाए। वैज्ञानिक शोध भी इधर उधर घूमकर वापस हमारी प्राचीन प्रणाली और उन तरीकों पर ही आ जाते हैं, जो हमने मानवीय क्षमता को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किए हैं। अच्छी बात यह है कि उन्होंने भी यही माना है कि शरीर को स्थिर करके ही मस्तिष्क की शक्ति को सबसे अधिक बढ़ाया जा सकता है।

            1930 की बात है। दो मित्र बनारस गए। उन्होंने नदी में स्नान करने की सोची। आपस में वे बातचीत कर रहे थे और किसी व्यापार के मुद्दे पर समझौता करने की कोशिश में थे। सहमति इस बात पर बनी कि एक दोस्त दूसरे को व्यापार स्थापित करने के लिए 50 हजार रुपये देगा। वहीं के वहीं उन दोनों ने मौखिक तौर पर सहमति बना ली। कुछ साल बाद जिस दोस्त ने पैसे दिए थे, उसे पैसों की जरूरत पड़ी। उसने अपने पैसे मांगे, लेकिन कोई लिखित समझौता तो था नहीं कि उसने पैसे दिए हैं। ऐसे में पैसे मांगने पर दूसरे मित्र ने कहा, “तुमने मुझे कभी पैसे नहीं दिए। ऐसा कोई समझौता ही नहीं हुआ हम दोनों के बीच।“ पहले दोस्त ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने उससे सबूत मांगा, लेकिन उसके पास इस बात का कोई सबूत नहीं था कि उसने 50 हजार रुपये उधार दिए थे। इस न्यायाधीश  ने कहा, “ आपको सबूत तो देना होगा, नहीं तो इस मामले में अदालत कुछ नहीं कर पाएगी।”

            बस शांत और स्थिर बैठे रहिए। कुछ दिनों में आप देखेंगे कि चीजों को ग्रहण करने और याद करने की आपकी शक्ति में जबर्दस्त इजाफा हो रहा है।

             अचानक उसे याद आया कि जब वे दोनों नदी में नहाते हुए पैसे के लेनदेन का समझौता कर रहे थे तो एक ब्राह्मण उनके पास ही स्नान कर रहा था। उसे लगा कि हो सकता है उस ब्राह्मण ने उनके समझौते के बारे में कुछ सुना हो और वह उसके पक्ष में गवाही दे दे। वह उस ब्राह्मण को ढूंढने बनारस गया। उसे वह ब्राह्मण मिल तो गया लेकिन उसे यह जानकर बड़ी निराशा हुई कि वह ब्राह्मण अंग्रेजी नहीं जानता था और उस दिन वे दोनों मित्र अंग्रेजी में ही बात कर रहे थे। उसे लगा कि ब्राह्मण का कोई फायदा उसे नहीं मिल पाएगा। फिर भी उसने ब्राह्मण से बात की, “देखो, चार साल पहले हम दो मित्र स्नान कर रहे थे। आप भी वहीं थे। हमारे बीच एक समझौता हुआ था। आप उसके बारे में मेरे लिए गवाही दे दें।” ब्राह्मण ने कहा, “मैं अंग्रेजी तो नहीं जानता लेकिन मैं वह सब दोहरा अवश्य सकता हूं जो तुम लोग उस दिन बात कर रहे थे।” वह अंग्रेजी नहीं जानता था, लेकिन उसने वह सब कुछ दोहरा दिया जो उस दिन उसने सुना था। वह उन शब्दों का अर्थ नहीं जानता था, फिर भी सब कुछ याद करके उसने हूबहू वही शब्द अदालत के सामने दोहरा दिए, जो उन दोनों दोस्तों ने उस दिन बोले थे। नतीजा यह हुआ कि जिस दोस्त ने पैसे दिए थे, वह मुकदमा जीत गया।  

         कहने का अर्थ यह है कि अगर हम अपनी अंदरूनी परिस्थितियों को सही तरीके से संभाल लें तो हम अपनी स्मरण शक्ति को इतना ज्यादा बढ़ा सकते हैं। शुरुआत करने का सबसे आसान तरीका यही है कि स्थिर रहना सीखा जाए। अगर आप किसी जगह शांत और स्थिर होकर बैठना सीख सकते हैं तो यह इस दिशा में एक अच्छा कदम होगा। यह आप कक्षा में भी कर सकते हैं। आपके शिक्षक बात कर रहे हैं। ऐसे में आपको जरूरत नहीं है हिलने डुलने या भाव प्रदर्शन करने की। बस शांत और स्थिर बैठे रहिए। कुछ दिनों में आप देखेंगे कि चीजों को ग्रहण करने और याद करने की आपकी शक्ति में जबर्दस्त इजाफा हो रहा है। कुछ खास तरह के अभ्यास हैं, जिनके माध्यम से इस स्थिरता को आप अपने भीतर उतार सकते हैं।

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