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Tuesday, April 8, 2014

हामारे मस्तिष्क में स्मरण शक्ति की क्या-क्या क्रिया विधि होति हैं।



        बहुत अधिक संख्या में ऐसे लोग हैं जो प्राय: अपनी कमजोर स्मरण क्षमता को लेकर चिंतित रहते हैं। जब वे किसी का पक्ष या सामने वाले व्यक्ति का नाम तक भूल जाते हैं तो उन्हें और भी बुरा लगता है। ऐसा उनके साथ भी होता है, जिनके पास पहले अच्छी स्मरण शक्ति थी। हमें याद रखना चाहिए कि स्मरण शक्ति एक बैंक की तरह है। यदि इसमें कुछ डालेंगे, तभी तो निकाल सकेंगे।
        हमारी यादें हमारे व्यक्तित्व का एक प्रमुख अंग हैं। हम क्या याद रखते हैं और क्या भूल जाते है यह सब बहुत सारी चीजों पर निर्भर करता है। भाषा, दृष्टि, श्रवण, प्रत्यक्षीकरण, अधिगम तथा ध्यान की तरह स्मरण भी मस्तिष्क की एक प्रमुख बौद्धिक क्षमता है। हमारे मस्तिष्क में जो कुछ भी अनुभव, सूचना और ज्ञान के रूप में संग्रहीत है वह सभी स्मरण के ही विविध रूपों में व्यवस्थित रहता है।
       हमारी स्मरण कैसे काम करती है या फिर किसी भी चीज को हम कैसे याद रख पाते हैं? स्मरण हमारे मस्तिष्क में किस प्रकार संग्रहीत होती है? हम किसी चीज को क्यों भूल जाते हैं और कुछ चीजे भुलाए नहीं भूलती। इन मूलभूत प्रश्नों ने मानव मन को सदा से ही आंदोलित किया है तथा इनके उत्तर देने के समय समय पर प्रयास भी किये गए हैं।


        स्मरण  की क्रियाविधि

    आधुनिक परिभाषा के अनुसार हमारी स्मरण एक सामूहिक प्रक्रम है जिसके तीन मुख्य चरण होते हैं।

  1)सूचनाओं को कूटबद्ध करना

        हमें अपने आसपास के वातावरण को महसूस करने के लिए पहले आवश्यक है कि वातावरणीय उद्दीपनों को उससे संबंधित ज्ञानेन्द्रियों द्वारा ग्रहण किया जाए। उदाहरण के लिए किसी भी वस्तु को देखने के लिए हम उस पर से परावर्तित प्रकाश को नेत्रों द्वारा ग्रहण करते हैं। अब इस परावर्तित प्रकाश को नेत्र की रेटिना में उपस्थित संवेदी तंत्रिका कोशिकाएं (रॉड और कोन) क्षीण वैद्युतीय तरंगो में बदलती हैं। अब यह कहा जा सकता है कि रेटिना द्वारा वातावरण में उपस्थित प्रकाश उद्दीपन का कोडीकरण वैद्युतीय रूप में किया गया। अब यह हल्की वैद्युतीय तरंग मस्तिष्क के दृश्य क्षेत्र में जाती है और यहां इसकी व्याख्या की जाती है। इस व्याख्या के आधार पर हम अपने मन में सामने के दृश्य का एक प्रतिबिंब बनाते हैं। इस समूची प्रक्रिया को दृश्य प्रत्यक्षीकरण (visual perception) या देखना कहते हैं। कोडिंग के समय सूचनाएं मुख्यतः स्थान, समय तथा आवृत्ति के आधार पर कोड की जाती हैं।

  2)सूचनाओं का संग्रहण

       सूचनाओं को कोड करने के बाद उनके संग्रहण का स्थान आता है। यह संग्रहण संवेदी स्तर या अल्पकालीन स्मृति के स्तर या दीर्घकालीन स्मृति के स्तर पर हो सकता है। यहां यह उल्लेखनीय होगा कि हमारे मस्तिष्क में संग्रहण के समय सूचनाओं में थोड़ा परिवर्तन हो सकता है। मतलब कि सूचनाएं वहीं नहीं रहेंगी जैसी वे वास्तविक रूप में थीं। उनमें हम अपने पास से कुछ मिला सकते है या फिर उस सूचना के किसी भाग को निकाल भी सकते हैं। अगर आधी अधूरी सूचना है तो हम उसे अपनी कल्पना शक्ति के आधार पर गढ़ भी सकते हैं। इस गुण के कारण स्मृति एक निर्माणात्मक प्रक्रिया होती है। स्मृति का अतिरिक्त स्तर पर वर्गीकरण स्मृति में सूचनाओं के संग्रहण के आधार पर किया जाता है।

3)स्मरण

      हमें कैसे पता चलता है कि हमारे पास किसी विशेष समय या स्थान की स्मृति है? तभी जब हम उसे स्मरण करते हैं। उदाहरण के लिए अगर पूछा जाए कि अपने बचपन के पांच शिक्षकों के नाम बताइए जिनकी शिक्षाओं ने आपके जीवन पर सबसे अधिक प्रभाव डाला है तो हमें उत्तर देने में देर नहीं लगेगा। लेकिन अगर यह पूछें कि वर्ष 2000 से 2005 तक जैविकी या किसी भी क्षेत्र में नोबल पुरस्कार प्राप्त वैज्ञानिकों के नाम बताइए तो शायद हमें कुछ देर तक सोचना पड़ जाए। यह बात यहां स्पष्ट हो जाती है कि हम किन चीजों को याद रखते हैं और किन चीजों को भूल जाते हैं यह सब काफी कुछ हमारी अभिप्रेरणाओं, चेतन और अचेतन इच्छाओं इत्यादि पर निर्भर करता है। अतः स्मरण, संपूर्ण स्मृति का एक आवश्यक अंग है।

        यह मान कर चलें कि आपकी स्मरण शक्ति तीव्र है, स्वयं से सकारात्मक अपेक्षा रखें। यदि मानेंगे कि आपका दिमाग काम नहीं करता, याददाश्त हाथ से निकल गई है तो दिमाग भी यही मानने लगेगा। हमारी स्मरण शक्ति इस बात पर भी निर्भर करती है कि आपने पहले किसी घटना को कितनी रुचि व महत्व दिया है। जब हम किसी व्यक्ति या घटना से आकर्षित होते हैं तो उस पर अधिक ध्यान देते हैं। तब ऐसे व्यक्ति या घटना को याद करना आसान हो जाता है।कंप्यूटर में कोई चिप या सॉफ्टवेयर लगा कर उसकी मैमरी सुधार सकते हैं।मस्तिष्क की संरचना कंप्यूटर से कहीं जटिल है, इसके साथ ऐसा नहीं हो सकता। जिस तरह व्यायाम से शारीरिक क्षमता सुधारी जा सकती है, उसी तरह मस्तिष्क व स्मरण शक्ति में भी सुधार लाया जा सकता है। शरीर की तरह मस्तिष्क की फिटनेस भी महत्व रखती है। अच्छी स्मरण शक्ति हमें मानसिक रूप से सजग रखती है।
       
       वैज्ञानिकों का दावा है कि मानव मस्तिष्क वृद्धावस्था में भी परिवर्तन के अनुसार समायोजित होने की अद्भुत क्षमता रखता है। इस योग्यता को ‘न्यूरोप्लास्टीसिटी’ कहते हैं। उचित उत्तेजना से यह नए ‘न्यूरल पाथवे’ बना सकता है, मौजूदा स्नायु में बदलाव लाया जा सकता है तथा नए तौर-तरीकों के हिसाब से समायोजन कर, प्रतिक्रिया दे सकता है।

 स्मरण के प्रकार

अब प्रश्न यह उठता है कि स्मरण के विभिन्न प्रक्रमों की क्रियाविधि क्या है? इस परिभाषा के अनुसार स्मृति के तीन मुख्य संग्रह होते हैं।

 1)संवेदी स्तर स्मृति

           हमारी ज्ञानेन्द्रियां(संवेदी अंग) किसी भी सूचना को वातावरण से ग्रहण करके उसे मस्तिष्क तक पहुंचाने का कार्य करती हैं। बाद मे उस सूचना के आधार पर मस्तिष्क द्वारा एक निष्कर्ष निकाला जाता है। हम देखने, सुनने या त्वचा द्वारा शीत या गर्मी की अनुभूति का उदाहरण ले सकते हैं। कोई भी वातावरणीय उद्दीपन जैसे प्रकाश या ध्वनि सबसे पहले अपने संबंधित ज्ञानेन्द्रिय मे बहुत ही कम समय के लिए कूटबद्ध रूप में संग्रहित होता है। यह संग्रहण अत्यल्प समय के लिए होता है। दृष्टि के लिए इसकी सीमा 0.5 सेकेंड और श्रवण के लिए इसकी समय सीमा 2 सेकेंड के आसपास होती है। इस समय सीमा के पश्चात इस संग्रहित स्मृति का क्षय हो जाता है। ऐंद्रिक स्तर पर सूचनाएं अभी प्रारंभिक होती हैं और इनसे कोई निष्कर्ष नहीं निकाल सकते। इनका मस्तिष्क द्वारा संयोजन तथा परिमार्जन अभी बाकी होता है।

   2)अल्पकालीन स्मृति

         ज्ञानेन्द्रियों द्वारा प्राप्त सूचनाएं जब हमारे ध्यान में आती हैं तो वे अल्पकालीन स्मृति का भाग बनती हैं। यहां उल्लेखनीय है कि संवेदी स्तर की वे सभी सूचनाएं जिन पर हम ध्यान नहीं देते वे समाप्त हो जाती हैं। केवल वहीं सूचनाएं जिन पर हम एकाग्र होते है वे अल्पकालीन स्मृतियां बनती हैं। अल्पकालीन स्मृति को क्रियात्मक स्मृति भी कहा जाता है। इस प्रकार की स्मृति का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हमारे द्वारा कोई फोन नंबर याद करना है। जब हम किसी नंबर को देख कर उसे डायल करते हैं तो दो बाते होती हैं। सबसे पहले हम नबर को देखते हैं और उसे कुछ एक बार दोहरा के याद करते हैं फिर नंबर डायल करने के बाद सामान्यतः उसे भूल जाते हैं। अतः इस प्रकार की स्मृति के संबंध में दो निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं। प्रथम, अल्पकालीन स्मृति की क्षमता बहुत कम होती है (सामान्यतः इसका मान 7±2 होता है, अर्थात् हम 5 से 9 अंको तक की कोई संख्या आसानी से याद कर सकते हैं। यदि हमें 14 अंको की कोई संख्या याद करनी हो तो इसे दो के जोड़े में बदल कर याद करते हैं।) द्वितीय, इस प्रकार की स्मृति में अगर एकाग्रता में थोड़ी भी कमी से हमारा ध्यान बंट जाए तो स्मृति शेष नहीं रह जाती। फोन वाले उदाहरण में अगर नंबर याद करने और डायल करने के बीच में कोई दूसरी बात हो जाए तो हमें नंबर याद नहीं रहेगा। वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि इस प्रकार की स्मृति में सूचना का कुल संग्रहण 20 से 30 सेकेंड तक ही होता है। लेकिन अगर सूचना को दोहराया जाए तो यह समय 20 से 30 सेकेंड से अधिक भी हो सकता है। और अगर बार-बार ध्यान से दोहराएं तो यह सूचना दीर्घकालीन स्मृति में परिवर्तित हो जाती है।

   3)दीर्घकालीन स्मृति

          जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है दीर्घकालीन स्मृतियां स्थाई होती हैं। हम इस स्मृति का उपयोग बहुत तरीको से करते हैं। आज सुबह हमने नाश्ते में क्या खाया? परसों हमारे घर कौन-कौन मिलने आया था? उन लोगों ने कौन से कपड़े पहन रखे थे? हमने अपना पिछला जन्मदिन कहां और कैसे मनाया था? हम साइकिल कैसे चला लेते हैं से लेकर वर्ग पहेली हल करने तक, इन सारी गतिविधियों में हमारी यह स्मृति हमारा साथ देती है। इस प्रकार की स्मृति सबसे अधिक विविध होती है और हमारी भावनाओं, अनुभवों तथा ज्ञान इत्यादि इन सभी रूपो में परिलक्षित होती है। अल्पकालीन स्मृति की सूचनाएं बार-बार दुहराई जाने के बाद दीर्घकालीन स्मृति बन जाती हैं। इस स्मृति का क्षय नहीं होता लेकिन इसमें परिवर्तन हो सकता है।

 स्मरण संबधी अनियमितताएं और इसके कारण

       हम सभी ने किसी न किसी समय ऐसी स्थिति का सामना किया होगा जब हम अपनी यादाश्त को याद करते हैं। उदाहरण के लिए हम कुछ कहने जा रहे हों और अचानक ही भूल गए कि क्या कहना है या परीक्षा में प्रश्नपत्र के सारे उत्तर आ रहे हों लेकिन उनको लिखने के लिए शब्द नहीं मिल पा रहे हैं। यह स्मृति लोप के छोटे-छोटे उदाहरण हैं। दूसरी ओर आपने देखा होगा कि वृद्धावस्था में कुछ लोगों को भूलने की शिकायत होने लगती है। आइन्सटाइन के बारे में एक कहानी प्रचलित है कि एक बार वे अपने विश्वविद्यालय में टहल रहे थे तभी उनके एक विद्यार्थी ने उन्हें दोपहर के भोजन के लिए पूछा। आइन्सटाइन ने उससे पूछा कि जब आपने मुझे रोका तब मैं किस दिशा की ओर से आ रहा था? विद्यार्थी ने एक ओर इशारा कर के बताया कि आप उस दिशा की ओर से आ रहे थे। तब आइन्सटीन ने उत्तर दिया। धन्यवाद! तब तो मैने भोजन कर लिया है। ऐसी बहुत सी कथाएं दार्शनिकों और वैज्ञानिकों के संबंध में कही जाती हैं। यह छोटे स्तर पर हुए स्मृति लोप का एक उदाहरण है। उपरोक्त सभी घटनाओं में हम देखते हैं कि कहीं न कहीं से हमारे मस्तिष्क की सुगम क्रियाशीलता में रुकावट हो रही होती है। थोड़ी बहुत मात्रा में स्मृति संबंधी दोष तो लगभग सभी में होता है लेकिन इसे रोग का नाम नहीं दिया जा सकता। जब इन लक्षणों के कारण व्यक्ति औरउससे जुड़े लोग प्रभावित होने लगे तभी इसे स्मृतिभ्रंश का नाम देते हैं। इस प्रकार के रोगी केवल आधे घंटे पहले मिले लोगों को याद नहीं रख पाते। उन्हे यह भी याद नहीं रहता कि दस मिनट पहले उन्होने स्नान किया था। जीवन की सामान्य क्रियाएं बहुत ही बुरी तरह से प्रभावित होने लगती हैं। स्मृति लोप या स्मृति भ्रंश (Amnesia), स्मृति संबंधी एक ऐसी घटना है जिसमें इससे संबंधित किसी भी प्रक्रम जैसे स्मरण या संग्रहण में बाधा उत्पन्न हो जाती है और जिसके फलस्वरूप हमारी सामान्य स्मृति प्रभावित होती है। यह बाधा किसी भी शारीरिक या मनोवैज्ञानिक कारणों जैसे मस्तिष्क की चोट या किसी अन्य कारण से हुई क्षति, बिमारी, पोषक तत्वों की कमी, सदमें, अत्यधिक शराब के सेवन से, नशीली दवाइयों और अधिक उम्र के कारण हो सकती है। यहां स्मृतिलोप के कुछ मुख्य प्रकारों का वर्णन किया गया है।

   1)कोरसाकॉफ सिंड्रोम (Korsakoff’s Syndrome)

             शराब का अत्याधिक सेवन करने वाले लोगों में इसके लक्षण देखने को मिलते हैं। शराब से लंबे समय तक अधिक मात्रा में सेवन करने से मुख्यतः दो समस्याएं होती हैं। एक तो थाइमिन विटामिन की खतरनाक स्तर पर कमी हो जाती है और दूसरी , मस्तिष्क में कुछ हानिकारक संरचनात्मक परिवर्तन हो जाते हैं। इनके फलस्वरूप रोगियों कि स्मृति बुरी तरह से प्रभावित होती है। ऐसा देखा गया है कि इनकी वर्तमानकाल की स्मृति तो ठीक होती है लेकिन बीती घटनाओं को याद नहीं रख पाते और बहुत सी महत्वपूर्ण यादें इनकी स्मृति से पूरी तरह से गायब दिखाई देती हैं।

     2)एंटेरोग्रेड स्मृतिलोप (Anterograde Amnesia)

             इस प्रकार के स्मृति भ्रंश में नई सूचनाएं याद करने में कठिनाई होती है। लेकिन बीती घटनाओं की स्मृतियां बिल्कुल ठीक होती हैं। ऐसे उदाहरण देखने को मिलते हैं कि किसी के मस्तिष्क के किसी खास हिस्से पर चोट लग गई हो और उसके बाद उसे केवल पुरानी बाते याद रह गई हों और दुर्घटना के बाद की किसी नई स्मृति के लिए कोई स्थान ही न बचा हो।

   3)रेट्रोग्रेड स्मृतिलोप (Retrograde Amnesia)

            इसके लक्षणों में पुरानी घटनाएं आश्चर्यजनक रूप से भूल जाती हैं लेकिन नई घटनाओं से संबंधित स्मृतियों में कोई परेशानी नहीं होती। ऐसे उदाहरण देखने को मिलते हैं कि किसी दुर्घटना के बाद पुरानी सारी यादे पता नहीं कहां चली गईं। लेकिन नई सूचनाओं को याद रखने में कोई कठिनाई नहीं हो रही । इस प्रकार के स्मृतिलोप में स्मृति कुछ दिनों में वापस आ जाती है।

     4)अभिप्रेरित विस्मृति (Motivated Forgetting)

       यह देखा गया है कि कभी कभी हमारा मन हमें कुछ विशेष स्मृतियों तो भूलने के लिए भी प्रेरित करता है। और हम उन्हें पूरी तरह से भूल भी जाते हैं। हमारे वर्तमान को सुखद बनाने के लिए प्रकृति द्वारा ऐसी व्यवस्था की गई है। ऐसा विशेष तौर पर बहुत ही पीड़ादायक स्मृतियों के संदर्भ में होता है। उदाहरण के लिए बाल्यकाल में हुई कोई दुखद घटना, दंड आदि। यहां उल्लेखनीय होगा कि ये स्मृतियां केवल हमारे चेतन मन से लुप्त होती हैं। कहीं गहरे अचेतन में इनके अंश विद्यमान होते हैं।

    स्मरण युक्तियां

           हम अपने आस-पास ऐसे अनेक लोगों को देखते हैं जिनकी स्मृति क्षमता बहुत अच्छी होती है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो कि अपने भुलक्कड़ स्वभाव के कारण जाने जाते हैं। हम में से सभी सोचते हैं कि हमारी यादाश्त क्षमता बढ जाए तो कितना अच्छा हो। एक अच्छी यादाश्त का मुख्य लक्षण है कि यह सभी संबंधित बातों को क्रमबद्ध रूप से व्यवस्थित करे और आवश्यकता पड़ने पर तुरंत ही इनकी उपलब्धता सुनिश्चित करे। कुछ ऐसी दवाइयां उपलब्ध हैं जिनसे गंभीर रूप से भूलने की स्थिति में सहायता मिलती है। लेकिन इन दवाइयों का प्रयोग विशेष स्थितियों में ही करना चाहिए। हम कितनी अच्छी तरह से याद करते और सीखते हैं यह काफी कुछ हमारे भावनात्मक स्थिति पर निर्भर करता है। सीखने और समझने के लिए प्रेरणादायक वातावरण हमेशा ही लाभप्रद होता है। हम तब भी बेहतर तरीके से सीख पाते हैं जब हम ध्यान देते हैं। यह भी आवश्यक है कि सूचना को किस प्रकार कोड किया जा रहा है। इसका भंडारण और समेकन (storage and integration) किस प्रकार हो रहा है और इसका पुनः स्मरण (retrieval) कैसे हो रहा है। एक अच्छी स्मृति के लिए इन सारी क्रियाओं का सुचारु रूप से होना आवश्यक है।

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